हो रहा है कैसा आज असर धीरे धीरेइंसानियत उगल रहा जहर धीरे धीरेविवश हो प्रकृत भी प्रलय की आड मेंढा रहा... हो रहा है कैसा आज असर धीरे धीरेइंसानियत उगल रहा जहर धीरे धीरेविवश हो प्रकृत भी प...
खोए रहते थे मुझमें, जो आठों पहर l खोए रहते थे मुझमें, जो आठों पहर l
हर तरफ धुआँ हर तरफ धुआँ
मनुष्य कुदरत से खेल रहा था। ईश्वर सब कुछ देख रहा था। मनुष्य कुदरत से खेल रहा था। ईश्वर सब कुछ देख रहा था।
पर तेरे सिवा कौन समझेगा मेरे जज़्बातों को। मैं यूँ तन्हा अकेला, बेचैन आधी रातों को। पर तेरे सिवा कौन समझेगा मेरे जज़्बातों को। मैं यूँ तन्हा अकेला, बेचैन आधी रातो...
लोगों को जहर ने नहीं, अहं के कहर ने मारा है लोगों को जहर ने नहीं, अहं के कहर ने मारा है